शीतकारी प्राणायाम के फायदे | शीतकारी प्राणायाम कैसे करे - Shitkari pranayama benefits in hindi| Shitkari pranyama steps in hindi
दोस्तों आज हम इस लेख में Shitkari pranayama steps और Shitkari pranayama benefits के बारेमें बात करेंगे।और शीतकारी प्राणायाम करते वक्त कोन कोन सी सावधानी रखनी चाहिए उसकी भी बात करेंगे।
शीतकारी प्राणायाम में "शीत" का अर्थ "ठंडा" होता है। शीतकारी प्राणायाम शरीर और मन को ठंडक पोहचाता है। शीतली प्राणायाम की तरह शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास बेहद सरल है। शीतकारी प्राणायाम करते वक्त मुँह में से "सीत् सीत्" आवाज निकलती है इसलिए इस प्राणायाम का नाम शीतकारी पड़ा।
शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास ठंडक प्रदान करने वाले प्राणायाम के अंतर्गत आता हे इसलिए इसको गर्मी के मौसम ज्यादा करना चाहिए। तो चलिए में आपको शीतकारी प्राणायाम कैसे किया जाता है और शीतकारी प्राणायाम के फायदे क्या है उसके बारेमें जानकारी देता हूँ। गोमुखासन कैसे करे
शीतकारी प्राणायाम करने से पहले कोन से आसन करें
शीतकारी प्राणायाम से शरीर में ठंडक का संचार होता है। इसलिए इसको आसन और अन्य प्राणायाम के अभ्यास के बाद करना चाहिए।
शीतकारी प्राणायाम कैसे करे - Shitkari pranayama steps in hindi
Shitkari pranayama steps निचे दिए गए हे ध्यान से पढ़े :
1. सर्व प्रथम एक स्वच्छ और शांत जगह का चुनाव करे। मैट या चादर बिछा कर सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाये।
2. अब ऊपर के जबड़े के दाँत और निचे के दाँत को एकदूसरे के साथ जोड़े। ध्यान रखे की आपके होंठ खुले रखने हे ताकि आपके दाँत दिखाई दे। भुजंगासन कैसे करे और उसके फ़ायदे
3. गला और सिर को एकदम स्थिर और सीधा रखे।
4. अब जीभ को मोड़कर या तो फ्लैट रख के जीभ के उग्र भाग को तालु से लगा ले।
5. अब दाँत को जोड़कर रखे और होंठ को खुले रखके धीरे धीरे दाँत की बीचवाली जगह से साँस अंदर ले। साँस अंदर लेते समय "सीत् सीत्" आवाज आनी चाहिए जिससे आपको ठंडक महसूस होगी।
6. अब साँस को कुछ समय तक अंदर रोक के रखे और बाद में धीरे से नाक से बहार निकाले। कपालभाति प्राणायाम के फ़ायदे
7. यह शीतकारी प्राणायाम के अभ्यास का एक चक्र हुआ। इस प्रक्रिया को आप 9 बार करे।
शीतकारी प्राणायाम के फायदे - Shitkari pranayama benefits in hindi
Shitkari pranayama benefits निचे दिए गए है ध्यान से पढ़े :
1. शरीर की गर्मी को कम करता है और ठंडक पोहचाता है।
2. शीतकारी प्राणायाम का हर रोज अभ्यास करने से ऑक्सीजन की मात्रा काम नहीं होती।
3. इस प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में ठंडक होती है और पसीने की समस्या कम होती है।
4. इस प्राणायाम के अभ्यास से पेट में होनेवाली जलन की समस्या दूर होती है। एसीडिटी काम करता है।
5. यह प्राणायाम पुरे शरीर और मन को शांत करता है इसलिए अगर शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास सोने से पहले किया जाये तो सुखद नींद आती है।
6. शीतकारी प्राणायाम प्यास और भूख को कम करता है।
7. इस प्राणायाम से कई तरह के रोग नाक के रोग, मुँह के रोग, दाँत के रोग से लाभ मिलता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करे
8. इस प्राणायाम के अभ्यास से खून शुद्ध होता है और चेहरे की चमक बढ़ती है।
9. इसके अभ्यास से रक्तचाप काम होता है।
शीतकारी प्राणायाम करने की समय सिमा
शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास आप नियमित करेंगे तो आपको अधिक लाभ होगा। इस प्राणायाम को सुबह या शाम के समय खाली पेट करने से ज्यादा लाभ मिलता है। इस प्राणायाम के चक्र को अपनी क्षमता अनुसार के पंद्रह बार तक करे।
शीतकारी प्राणायाम करते वक्त कोनसी सावधानी रखनी चाहिए -Shitkari pranayama precautions in hindi
1. शीतकारी प्राणायाम के अभ्यास को हमेशा खली पेट ही करना चाहिए।
2. अगर आपके दाँत नहीं है या टूट गए है तो शीतली प्राणायाम करे।
3. अगर आपको कब्ज की समस्या है तो यह प्राणायाम न करे।
4. शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास सर्दी की मौसम में न करें।
5. कफ और टॉन्सिल के रोगिओं को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
6. आपको हदय रोग की समस्या है तो इस प्राणायाम के अभ्यास के दौरान साँस न रोके।
7. साँस संबंधी कोई भी बीमारी हो तो इस प्राणायाम का अभ्यास न करें।
शीतकारी प्राणायाम के बाद कोन से आसान करे
शीतकारी प्राणायाम के बाद आपको शवासन करना चाहिए।
Video by - VIPIN SINGH
शीतकारी प्राणायाम वीडियो - Shitkari pranayama video
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